पंडीत छोड़ो पाथरा(पाथर का देव),
काजी छोड़ो कुराण।
वहः तारीख़ बताई दे,
थे न जमीन आसमांन।
काजी छोड़ो कुराण।
वहः तारीख़ बताई दे,
थे न जमीन आसमांन।
अर्थ - पंडीत और काजी से कबीर साहब ने इस धरतीका(जमीन और आसमांन) निर्माण
कब हुवा इसकी तारीख(date) पूँछी है। धर्म के नाम पर भेदभाव करने वालो को
कबीर साहब स्पष्ट रूप कहते है की ये भेदभाव मानव निर्मित है।
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