Thursday, April 14, 2016

उत्तम हा चैत्रमास | ऋतु वसंताचा दिवस ||१||
शुक्लपक्षी ही नवमी | उभे सुरवर व्योमीँ ||२||
माध्यान्हासी दिनकर | पळभरी होय स्थीर ||३||
धन्य मीच त्रिभुवनी | माझे वंशी चक्रपाणी ||४||
सुशोभित दाही दिशा | आनंद नरनारी शेषा ||५||
नाहि कौसल्येसी भान | गर्भी आले नारायण ||६||
अयोनी संभव | प्रकटला हा राघव ||७||
नामा म्हणे डोळां | पाहीन भुवनत्रयपाळा ॥८॥

 

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